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हनुमान चालीसा हिंदी में pdf | Hanuman Chalisa PDF Hindi

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हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक हिंदू भक्ति भजन है। यह हिंदू परंपरा में सबसे व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली और श्रद्धेय प्रार्थनाओं में से एक है, और दुनिया भर में लाखों भक्तों द्वारा इसका जाप किया जाता है। प्रार्थना में 40 छंद होते हैं, जिनमें से प्रत्येक भगवान हनुमान की महिमा और गुणों के लिए एक श्रद्धांजलि है।

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माना जाता है कि हनुमान चालीसा भारत में 16वीं शताब्दी के प्रसिद्ध कवि और संत तुलसीदास द्वारा लिखी गई थी। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बड़े संकट के समय में भगवान हनुमान की स्तुति में भजन की रचना की और प्रार्थना को पढ़ने से उन्हें अपनी परेशानियों को दूर करने में मदद मिली। तब से, हनुमान चालीसा भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक प्रिय प्रार्थना बन गई है, जो इसे बड़ी भक्ति और श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं। हनुमान चालीसा पीडीएफ फाइल



हनुमान चालीसा की लोकप्रियता का एक कारण इसके शक्तिशाली और उत्थानकारी छंद हैं। प्रत्येक छंद भगवान हनुमान की स्तुति से भरा हुआ है, और उनकी शक्ति, साहस, ज्ञान और भक्ति जैसे कई गुणों पर प्रकाश डालता है।

यह भी माना जाता है कि प्रार्थना के कई आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ हैं, और अक्सर सफलता, अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है।

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हाल के वर्षों में, डिजिटल तकनीक के उदय के साथ, हनुमान चालीसा दुनिया भर के भक्तों के लिए और भी अधिक सुलभ हो गई है। कई वेबसाइट और मोबाइल ऐप अब हनुमान चालीसा पीडीएफ डाउनलोड की पेशकश करते हैं, जिससे किसी के लिए भी किसी भी समय और कहीं से भी प्रार्थना करना आसान हो जाता है।

पीडीएफ प्रारूप में हनुमान चालीसा डाउनलोड करने का एक फायदा यह है कि यह प्रार्थना तक पहुंचने का एक सुविधाजनक और पोर्टेबल तरीका प्रदान करता है। एक बार डाउनलोड हो जाने के बाद, पीडीएफ फाइल को कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस पर सेव किया जा सकता है, और बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी एक्सेस किया जा सकता है।

इसका मतलब यह है कि भक्त हनुमान चालीसा को अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं, और जब भी उन्हें आध्यात्मिक उत्थान या मार्गदर्शन की आवश्यकता महसूस हो तो प्रार्थना कर सकते हैं।

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हनुमान चालीसा हिंदी में PDF | Hanuman Chalisa PDF In Hindi

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पीडीएफ प्रारूप में हनुमान चालीसा को डाउनलोड करने का एक और लाभ यह है कि यह आसानी से मुद्रण और साझा करने की अनुमति देता है। कई भक्त प्रार्थना का प्रिंट आउट लेना पसंद करते हैं और हर समय इसकी एक प्रति अपने पास रखते हैं, या इसे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं जो भगवान हनुमान के भक्त हैं।

पीडीएफ प्रारूप यह सुनिश्चित करता है कि मुद्रित प्रति बिल्कुल मूल जैसी दिखती है, जिसमें स्वरूपण या गुणवत्ता का कोई नुकसान नहीं होता है। ऐसी कई वेबसाइट और मोबाइल ऐप हैं जो मुफ्त में हनुमान चालीसा पीडीएफ डाउनलोड करने की पेशकश करते हैं।

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इनमें से कुछ वेबसाइटें प्रार्थना की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी प्रदान करती हैं, जो उन लोगों के लिए मददगार हो सकती हैं जो हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए नए हैं या जो अपने उच्चारण में सुधार करना चाहते हैं। इनमें से कई वेबसाइटें भगवान हनुमान और हिंदू धर्म में उनके महत्व के बारे में अतिरिक्त संसाधन और जानकारी भी प्रदान करती हैं।

वेबसाइटों और मोबाइल ऐप के अलावा, कई किताबें और प्रकाशन भी हैं जो हनुमान चालीसा पीडीएफ़ डाउनलोड की पेशकश करते हैं। ये पुस्तकें अक्सर प्रार्थना की अतिरिक्त व्याख्या और स्पष्टीकरण प्रदान करती हैं, जिससे भक्तों को भजन और उसके महत्व की समझ को गहरा करने में मदद मिलती है।

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अंत में, यह ध्यान देने योग्य है कि जबकि हनुमान चालीसा हिंदू परंपरा में एक शक्तिशाली और पूजनीय प्रार्थना है, यह केवल हिंदू भक्तों तक ही सीमित नहीं है। प्रार्थना का कई अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया गया है, और अक्सर सभी धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा इसका पाठ किया जाता है जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा की तलाश में हैं।

इसकी सार्वभौमिक अपील और उत्थान संदेश इसे दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए एक प्रिय प्रार्थना बनाते हैं। अंत में, हनुमान चालीसा एक शक्तिशाली और प्यारी प्रार्थना है जिसे सदियों से लाखों भक्तों ने पढ़ा है। डिजिटल तकनीक के उदय के साथ, यह हनुमान चालीसा पीडीएफ डाउनलोड के माध्यम से और भी अधिक सुलभ हो गया है, जो प्रार्थना तक पहुंचने का एक सुविधाजनक और पोर्टेबल तरीका प्रदान करता है। चाहे आरईसी |

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Hanuman Chalisa PDF With Hindi Meaning | श्री हनुमान चालीसा हिंदी में अनुवाद सहित

 दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि |

बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||

 “श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।”

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||

 “हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।”


चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥

 “श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।”

राम दूत अतुलित बलधामा,

अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥

 “हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।”

महावीर विक्रम बजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥

 “हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।”

कंचन बरन बिराज सुबेसा,

कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥

 “आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।”

हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे,

काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥

 “आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।”

शंकर सुवन केसरी नंदन,

तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥

 “हे शंकर के अवतार!हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।”

विद्यावान गुणी अति चातुर,

राम काज करिबे को आतुर॥7॥

 “आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।”

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,

राम लखन सीता मन बसिया॥8॥

 “आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।”

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥

 “आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।”

भीम रूप धरि असुर संहारे,

रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥

 “आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।”

लाय सजीवन लखन जियाये,

श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥

“आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।”

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,

तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥

 “श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।”

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,

अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥

 “श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।”

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,

नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥

 “श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।”

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,

कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥

 “यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।”

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,

राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥

 “आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया , जिसके कारण वे राजा बने।”

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,

लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥

 “आपके उपदेश का विभीषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।”

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,

लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥

 “जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे।दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।”

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥

 “आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।”

दुर्गम काज जगत के जेते,

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

 “संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।”

राम दुआरे तुम रखवारे,

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥21॥

 “श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।”

सब सुख लहै तुम्हारी सरना,

तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥

 “जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।”

आपन तेज सम्हारो आपै,

तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥

 “आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।”

भूत पिशाच निकट नहिं आवै,

महावीर जब नाम सुनावै॥24॥

 “जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।”

नासै रोग हरै सब पीरा,

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥

 “वीर हनुमान जी!आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है, और सब पीड़ा मिट जाती है।”

संकट तें हनुमान छुड़ावै,

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥

 “हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।”

सब पर राम तपस्वी राजा,

तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥

 “तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।”

और मनोरथ जो कोइ लावै,

सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

 “जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।”

चारों जुग परताप तुम्हारा,

है परसिद्ध जगत उजियारा॥ 29॥

“चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।”

साधु सन्त के तुम रखवारे,

असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

 “हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।”

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,

अस बर दीन जानकी माता॥31॥

 “आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।”

राम रसायन तुम्हरे पासा,

सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

 “आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।”

तुम्हरे भजन राम को पावै,

जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

 “आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।”

अन्त काल रघुबर पुर जाई,

जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥ 34॥

 “अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।”

और देवता चित न धरई,

हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥

 “हे हनुमान जी!आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।”

संकट कटै मिटै सब पीरा,

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

 “हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।”

जय जय जय हनुमान गोसाईं,

कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥

 “हे स्वामी हनुमान जी!आपकी जय हो, जय हो, जय हो!आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।”

जो सत बार पाठ कर कोई,

छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥

 “जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।”

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ 39॥

 “भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।”

तुलसीदास सदा हरि चेरा,

कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥

 “हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।”


दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभुप॥

 “हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरूप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।”

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